THE BEST SIDE OF BHOOT KI KAHANI

The best Side of bhoot ki kahani

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Bhoot ki kahani

बहुत पुरानी बात है तब पानी के ज्यादा शाधन नहीं हुआ करते लोग कुए बाबड़ी तालाब आदि से पानी पिया करते थे! तो यह कहानी […]

मैं उसके पास रुका भी नहीं क्योंकि मुझे उस लड़की से डर लग रहा था। वह लड़की कई दिनों तक मुझे देखती रहती थी। एक दिन वह लड़की वहां पर नहीं दिखाई दी।तो मैं सोच में पड़ गया।

और हमने यह बात हंसी में टाल दी । दूसरे दिन मेरे मित्र लोग मेरे घर पर फिर से आ गए। और बीड़ी ताश के पत्ते खेलने लगे यह सिलसिला फिर देर रात तक चलता रहा।

फिर मैं उसका पता पढ़ कर उसके पते के अनुसार मैं उसके घर मिलने के लिए गया। दरवाजा खोलते ही एक आदमी आया और बोला कि क्या काम है तो मैंने बोला कि मुझे प्रीति से मिलना है।

एक बार की बात है, मैं अपने घर के बाहर खटिया में लेटा हुआ था. गर्मी के महीने चल रहे थे, इसलिए अक्सर हम लोग […]

इसलिए हम लोग रेलवे के मकान में रहते थे । जब मेरे पापा रिटायर हुए तो हम लोग एक बड़े बंगले में रहने चले गए। उस बंगले में मैं बहुत खुश था । क्योंकि मैं पहले से सोच रहा था ।

रमेश दूसरी तरफ देखने लगा और उस आदमी को नजर अंदाज करने लगा। उस आदमी ने फिर से रमेश से पूछा। इस बार रमेश को लगा कि यह कोई इंसान ही है। रमेश उस आदमी को ट्रेन के बारे में बताने लगा। तभी घड़ी में दो बज गए। पूरा प्लैटफॉर्म घड़ी की आवाज से गूंज रहा था। रमेश ने घड़ी की तरफ देखा तो वह थोड़ा सा घबरा गया। उसके सामने खड़े आदमी ने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे जगाया तो वह होश में आ गया। रमेश ने देखा कि सामने खड़ा आदमी उसे धुंधला दिखाई दे रहा है। उसने

par mujhe pta nahi kyu vo khoon dekh kar me use pine k liye utavla hota ja rha tha.. shayd me bhi unki trhe ban gya tha… or mene vo khun piya or achanak meri nind tut gyi… fir me utha or mujhe jor ki pyas lag rhi thi… mene pani piya to mujhe ulit aa gyii… me kafi dar gya tha…

उसके सामने बैठकर ताश खेलना चालू कर दिया । थोड़ी देर बाद गर्मी लगने लगी । तो हमने सारी खिड़कियां खोल दी तो अच्छी हवा आने लगी । और हम लोग ताश खेलने में व्यस्त हो गए। तभी हमारे तीसरे मित्र ने बोला कि हमारे पास बीड़ी और माचिस भी है।

मैं मामा से कुछ बोल पाता इसके पहले ही मां ने मामा को बोला हां भैया! अब मैं ठीक हूं आप घर चले जाइए। मेरे घर पर मैं और मेरी मां ही बची , दो-चार दिन बीत गया । तब एक दिन रात में मुझे जोर की प्यास लगी। और मैं आंगन में पानी पीने के लिए उठी।

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कहानी सुनतेही उनकी आंखों में इस पौराणिक गुफा के बारे में पता लगाने के इच्छा जाग उठी। उन्होंने कुछ स्नैक्स, पानी और एक टॉर्च पैक किया और गुफा ढूंढ़ने के लिए निकल पड़े। गांब वाले उन्हें यह कहते हुए चेतावनी दी कि यह गुफा भूतिया और खतरनाक है, लेकिन राम और सोनू कहां किसी की सुनने वाले थे।

श्राप हटने के साथ ही गुफा को अपनी प्राकृतिक शांति वापस मिल गई। राम, सोनू और कुत्ता गुफा से निकले, और नायकों के रूप में गाँव लौटे। गांब वालो के साथ वे अपनी अविश्वसनीय कहानी साझा की और उन्हें साहस, दोस्ती और करुणा के महत्व को समझाया।

दोस्तों यह कहानी पिछले वर्ष की है कोरोना काल चल रहा था, और मेरी तबीयत कुछ खास नहीं थी तो एक बहुत पढे लिखे वैद्य […]

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